यथार्थ का आईना दिखाती एक कविता। यथार्थ का आईना दिखाती एक कविता।
मैं देख नहीं सकता अपनी आत्मा के अंदर, या मिनट देखें जैसे-जैसे हम सब बूढ़े होते जाते ह मैं देख नहीं सकता अपनी आत्मा के अंदर, या मिनट देखें जैसे-जैसे हम सब बूढ़े हो...
हर कोई अच्छा नहीं हो सकता है, लेकिन हर किसी में कोई न कोई बात अच्छी होती है। कभी भी हर कोई अच्छा नहीं हो सकता है, लेकिन हर किसी में कोई न कोई बात अच्छी होती है।...
पर ये जो ज़िंदादिली है, तुम से ही है। पर ये जो ज़िंदादिली है, तुम से ही है।
ये जीवन तो आसान नहीं बहुत ठोकरें हैं राहों में, बात कुछ ऐसी है कि गिर पड़े तो, संभ ये जीवन तो आसान नहीं बहुत ठोकरें हैं राहों में, बात कुछ ऐसी है कि गिर प...
कब मेरी सोच ने, सोचना बंद कर दिया था, कहाँ से विचारों ने, शून्यता का रुख किया था, कब मेरी सोच ने, सोचना बंद कर दिया था, कहाँ से विचारों ने, शून्यता का र...